छोटा कदम
कहानी
राजस्थान के एक छोटे से गांव में राम नाम का लड़का रहता था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन उनकी आंखों में बड़ा सपना था। उनका सबसे बड़ा सपना एक डॉक्टर बनना था ताकि वह अपने गांव के लोगों की देखभाल कर सकें
रमेश के गाँव में शिक्षा की बहुत कमी थी। वहाँ केवल एक प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक शिक्षा के लिए शहर जाना था। उसके परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वह शहर में पढ़ाई कर सके। फिर भी, रमेश ने हार नहीं मानी। वह दिन-रात मेहनत करता है, स्कूल में काम करता है और स्कूल से मिलने वाली पढ़ाई करता है।
एक दिन गांव में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। वहां एक डॉक्टर साहब आए, जो शहर के एक बड़े अस्पताल में काम करने लगे। रमेश ने अपनी मुलाकात का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने डॉक्टर साहब से अपने सपने के बारे में सलाह और मार्गदर्शन मांगा। डॉक्टर साहब ने उनकी लगन और जज़्बे को देखा और उन्हें एक छोटी सी स्कॉर्पियो का वादा किया, जिससे रमेश सिटी बिजनेसमैन अपनी पूरी पढ़ाई कर सके।
रमेश ने इस मौक़े का भारी फ़ायदा उठाया। वह शहर गया और वहां के कठिन परिदृश्य में भी उसने कड़ी मेहनत जारी रखी। वह स्कूल के बाद एक किताब की दुकान में काम करती है और रात को पढ़ाई करती है। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अच्छे अंकों के साथ माध्यमिक शिक्षा पूरी की।
इसके बाद, रमेश ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। यहां भी उन्होंने अपनी मेहनत जारी की और डॉक्टर की डिग्री प्राप्त की। अब वह अपने गांव लौट आया और वहां एक छोटी सी क्लिनिक में आ गया। उन्होंने अपने गांव के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान शुरू किया। उनकी मेहनत और शुभकामनाओं को देखकर गांव के लोग बहुत खुश हैं
रमेश की कहानी ने पूरे गांव में एक नई प्रेरणा का संचार किया। उनके संघर्ष और सफलता ने गांव के बच्चों को भी बड़ा सपना देखा और उन्हें पूरा करने का नारा दिया। रामेश की कहानी ये सिखाती है कि खड़खड़ाहट कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, अगर हम हिम्मत और मेहनत से काम करें तो हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।