रमेश की जीत
एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक युवक रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी किस्मत हमेशा उसका साथ नहीं देती थी। चाहे खेतों में दिन-रात मेहनत करता, या किसी काम में जी-जान लगा देता, सफलता उससे हमेशा दूर रहती।
रमेश का दिल टूटने लगा था। वह सोचने लगा कि शायद उसकी मेहनत में ही कुछ कमी है। एक दिन, निराश होकर वह गाँव के किनारे वाले पुराने मंदिर में गया। वहाँ एक बूढ़े साधु बैठे थे, जो गाँव में अपनी बुद्धिमानी के लिए जाने जाते थे। रमेश ने अपने दिल की सारी बातें उन्हें बता दीं।
साधु ने मुस्कुराते हुए रमेश को देखा और कहा, “बेटा, तुमने कभी इस पेड़ को देखा है?” रमेश ने पेड़ की तरफ देखा, जो अपने हरे-भरे पत्तों से लदा हुआ था। साधु ने कहा, “यह पेड़ जब छोटा था, तो कितनी बार इसे तूफान, बाढ़, और सूखे का सामना करना पड़ा। लेकिन इसने हार नहीं मानी और अपनी जड़ों को और गहरा किया। आज देखो, यह कितना मजबूत और हरा-भरा है।”
रमेश ने ध्यान से साधु की बातें सुनीं। साधु ने आगे कहा, “जीवन में कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं। तुम्हारी मेहनत कभी बेकार नहीं जाएगी। तुम्हें बस धैर्य रखना है और विश्वास नहीं खोना है।”
उस दिन से रमेश ने नई ऊर्जा के साथ काम करना शुरू किया। वह सुबह जल्दी उठता, अपनी मेहनत को और बढ़ाता, और अपने सपनों के प्रति सच्चा रहता। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत रंग लाने लगी। उसकी फसलें अच्छी होने लगीं और उसका नाम गाँव में सम्मान के साथ लिया जाने लगा।
रमेश की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, अगर हम अपने प्रयास में ईमानदारी और धैर्य रखते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि असली जीत उसी की होती है जो अंत तक प्रयास करता है।
एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक युवा किसान रहता था।