सच्ची मेहनत का फल
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम मोहन था। मोहन दिन-रात मेहनत करता, लेकिन उसे कभी अपने काम का पूरा फल नहीं मिलता था। फिर भी, उसने हार नहीं मानी और अपने काम को ईमानदारी से करता रहा।
एक दिन, मोहन के खेत में काम करते हुए, उसे एक पुराना घड़ा मिला। जब उसने घड़े को खोला, तो उसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे। मोहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने सोचा कि अब उसकी गरीबी खत्म हो जाएगी और वह अपने परिवार को अच्छी ज़िन्दगी दे सकेगा।
लेकिन, मोहन ने लालच नहीं किया। उसने सोने के सिक्कों को बेचने की बजाय, गाँव के सभी गरीब किसानों की मदद करने का फैसला किया। उसने उन सिक्कों का उपयोग करके गाँव में एक स्कूल बनवाया, जिससे सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके। उसने एक अस्पताल भी बनवाया, ताकि गाँव के लोगों को अच्छा इलाज मिल सके।
मोहन की इस निःस्वार्थ सेवा को देखकर भगवान ने उसकी मेहनत का फल देना चाहा। एक दिन, मोहन के खेत में काम करते हुए, अचानक आसमान से रोशनी की एक किरण उसके ऊपर गिरी। वह डर गया, लेकिन तभी एक दिव्य आवाज सुनाई दी, “मोहन, तुम्हारी सच्ची मेहनत और ईमानदारी का फल तुम्हें मिलेगा।”
अचानक मोहन के खेत में फसलें लहराने लगीं और उसकी मेहनत का फल मिलने लगा। मोहन और उसके परिवार की जिंदगी बदल गई। उन्होंने कभी सोने के सिक्कों की जरूरत महसूस नहीं की, क्योंकि मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें खुशियों की दौलत दी थी।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्ची मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मिलता है। हमें कभी भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहिए और निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करनी चाहिए।
हा बहुत समय पहले की बात है। अगर खुद पर विश्वास हो, तो जीत निश्चित है।